आज अश्कों का तार टूट गया रिश्ता-ए-इंतज़ार टूट गया यूँ वो ठुकरा के चल दिए गोया इक खिलौना था प्यार टूट गया रोए रह-रह कर हिचकियाँ लेकर साज़-ए-गम बार बार टूट गया ‘सैफ’ क्या चार दिन कि रंजिश से इतनी मुद्दत का प्यार टूट गया – सैफुद्दीन सैफMore
खुदाई
खुदा हम को ऐसी खुदाई ना दे कि अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे अब इतनी भी ज़्यादा सफाई ना दे – बशीर बद्रMore
राज़
पास आकर भी फ़ासले क्यों हैं | राज़ क्या है, समझ मे ये आया || उस को भी याद है कोई अब तक | मैं भी तुमको भुला नही पाया || – जावेद अख़्तरMore
तेरा ज़िक्र
बस इक झिझक है यही हाल–ए–दिल सुनाने में कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फसाने में इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में – कैफ़ी आज़मीMore
Pyaasa – a masterpiece of Gurudatt
Today’s morning post is about the movie, I saw last night, and it is PYAASA (1957) by Gurudatt. I was searching for this movie for last 2 years but could not find. Finally thanks to Seventymm store at Nilgiris EGL Pyramid, I got it. First I saw reference to this movie in the Indiatimes list…More
The Alchemist
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Ishwar allah
तेरा गम
हो गयी है शाम, तेरी याद आ रही है | हर तरफ है धुन्ध, हर आस जा रही है || खो गया है अब तो मेरा खुद का वजूद भी, ना जाने किस लिहाज़ से ये सांस आ रही है|| तेरे दिए गम के साथ ही जिए जा रहा हूँ, कैसे कर लूँ यकीन तेरी तरह छोड़ के ना जाएगा ये| किसी और से ना उम्मीद ना गिला है कोई अब, तेरे गम के दायरे मे ही ये उम्र जा रही है || – गौरव संगतानीMore
मेरा मुक़द्दर….!
रातों को चुपके से कोई साया आता है, हवा का हर झोंका तेरी याद लाता है | कब तक यूँ ही तपड़ता रहूँगा मैं, क्यों हर बार मेरा मुक़द्दर मेरे दर से लौट जाता है || गौरव संगतानीMore
वो चाहत कहाँ से लाओगे…!
जितना चाहा है तुम्हे…. वो चाहत कहाँ से लाओगे…! चाहत मिल भी गयी तो ये दिल कहाँ से लाओगे..! दिल ढूँढ भी लिया तुमने तो वो इतना जल नही पाएगा, मैं फिर कहता हूँ….. जितना चाहा है तुम्हे कोई चाह नही पाएगा…! – गौरव संगतानीMore