तुझे नहीं मैं खुद को ढूँढता हूँ | उजालो से डर लगता है, अंधेरों को ढूँढता हूँ | ढूँढता हूँ उस शख्स को, जिसे तूने कभी चाहा था | अपने वादे न निभा पाया, उस गुनाहगार को ढूँढता हूँ | तुझे नहीं मैं खुद को ढूँढता हूँ | उजालो से डर लगता है, अंधेरों को…More
जादूगरी
ये कैसी है तेरे इश्क की जादूगरी, अभी तू यहीँ है और नहीं अभी | अभी तुझसे मिलकर हँसे थे हम, अभी तुझे खोकर रो दिये भी | तू ही तन्हाइयोँ में साथ मेरे, तू ही भीङ में करे तन्हा | तू ही तो ख्वाबोँ में है मेरे, तू ही रातों को जगाये भी |…More
Not you
I am searching for myself, not for you. I am searching for black, I am afraid of blue. I am searching for one, you loved once. I am searching for culprit who couldn’t keep his words true. I am searching for myself, not for you….! I am searching for moments, we were so close. I…More
Words are not here
Words are not with me, couldn’t and needn’t express myself.More
दर्द…
हम दर्द को दबाते रहे, ये फूट फूट निकलता रहा कभी चेहरे से झलकता रहा, कभी आँखों से छलकता रहा. हम हर मोड़ पर पुकारा किए और वो हमसे बचके चलता रहा. कितनी दफ़ा गिरे हम राहों मे वो बस दूर से तकता रहा. हमेशा ख्वाब सा ही बनकर रहा मेरे लिए वो, मैं हरदम पकड़ता रहा, वो ओस सा पिघलता रहा. हम दर्द को दबाते रहे, ये फूट फूट निकलता रहा कभी चेहरे से झलकता रहा, कभी आँखों से छलकता रहा. – गौरव संगतानीMore
काश कभी…..
काश कभी तुमने मेरी चाहत को समझा होता. चाहत ये ना थी सब कुछ मिले, पर कभी कुछ तो मिला होता…. हर क़दम पे तेरे साथ चले थे हम, किसी क़दम पे हमें भी इसका सिला मिला होता…. काश कभी तुमने मेरी चाहत को समझा होता. अब हम थक गये हैं इस चाहत से, इस जीने से. मर जाते अगर कफ़न में तेरा आँचल मिला होता…. काश कभी तुमने मेरी चाहत को समझा होता. चाहत ये ना थी सब कुछ मिले, पर कभी कुछ तो मिला होता…. – गौरव संगतानीMore
सदियां….
जिसकी आँखों में कटी थी सदियां, उसने सदियों की जुदाई दी है….. तेरी आवाज़ सुनाई दी है.. – गुलज़ार More
Just a coincidence……..
Just taking a look at websites in between my usual work, I came across a news story. There was nothing great, or I should say expected and regular news “Parliament disruptions cost nation Rs 18 cr”. But as I am thinking of this story, I can remember of another story from the same site few…More
धुआँ अभी बाक़ी है……….
बहुत पहले लिखा था ये शेर, आज फिर याद आ रहा है….. आग बुझ गयी, पर धुआँ अभी बाक़ी है. हम कहते हैं इश्क़ नहीं, पर नशा अभी बाक़ी है. नशे का क्या है, ये तो उम्र भर रहेगा. शुक्र है खुदा का, जान अभी बाक़ी है. – गौरव संगतानीMore
सितारों से जगमगाते ख्वाब…..
मोहब्बत पलकों पे कितने हसीं ख्वाब सजाती है.. फूलों से महकते ख्वाब.. सितारों से जगमगाते ख्वाब.. शबनम से बरसते ख्वाब.. फिर कभी यूँ भी होता है की पलकों की डालियों से ख्वाबों के सारे परिंदे उड़ जाते हैं और आँखें हैरान सी रह जाती हैं. – जावेद अख़्तरMore