हत्थां दा लिख्या लक्ख मिटाए कोई,
हत्थां ते लिख्या नहीं मिटदा…..
लक्ख करें जतन तू जट्टा,
किस्मत दा लिख्या नहीं मुकदा….
लोकी पराये हो गए,
ते हुए अपने बेगाने…
किस्मत दा ए रोला सारा,
ऎंवे कोई नहीं बदलदा….
हत्थां ते लिख्या नहीं मिटदा…..
किस्मत दा लिख्या नहीं मुकदा….
– गौरव संगतानी
तुसाँ नें बोहत बधिया लिख्या जे….. थोडा जिहा हिन्दी-पंजाबी लफ्जाँ दा सुधार कर लवों ताँ होर चन्गा लग्गू…..
हत्थां दा लिख्या लक्ख मिटाए कोई,
हत्थां ते लिख्या नहीं मिटदा…..
लक्ख करें जतन तू जट्टा,
किस्मत दा लिख्या नहीं मुकदा….
लोकी पराये हो गए,
ते हुए अपने बेगाने…
किस्मत दा ए रोला सारा,
ऎंवे कोई नहीं बदलदा….
हत्थां ते लिख्या नहीं मिटदा…..
किस्मत दा लिख्या नहीं मुकदा….
LikeLike
बहुत धन्यवाद्…. आवश्यकता थी इसकी….. अब अपडेट कर दिया है….
LikeLike
बहुत उम्दा गीत
LikeLike
Its true….
I agree Gaurav ji
LikeLike