जिंदगी की दास्ताँ Nov 26 2009 खुद में उलझ के रह गयी, ये जिंदगी की दास्ताँ.. कोई ओर नहीं कोई छोर नहीं, न संग कोई कारवां…. – गौरव संगतानी Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related Published by Gaurav Sangtani View all posts by Gaurav Sangtani
बेहतरीन!!
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बेहतर…
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