जिंदगी यूँ चली, होके खुद से खफ़ा |
पाके भी खो दिया, हमने सब हर दफ़ा ||
कोई साथी नहीं, कोई संग ना चला |
दर्द की रह में, हँसी हुई बेवफा ||
– गौरव संगतानी
जिंदगी यूँ चली, होके खुद से खफ़ा |
पाके भी खो दिया, हमने सब हर दफ़ा ||
कोई साथी नहीं, कोई संग ना चला |
दर्द की रह में, हँसी हुई बेवफा ||
– गौरव संगतानी
waah ….kya khoob likha hai
मेरी कलम – मेरी अभिव्यक्ति
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सुन्दर !
घुघूती बासूती
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koi ishk ki lik ke do to maano
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