कैसे कह दूं कि तेरी याद नही आती है,
मेरी हर सांस मे बस तू ही महकाती है.
आज भी रातों को जब चौंक के उठता हूँ,
बस तू ही नही, हर शह तो नज़र आती है..!
– गौरव संगतानी
कैसे कह दूं कि तेरी याद नही आती है,
मेरी हर सांस मे बस तू ही महकाती है.
आज भी रातों को जब चौंक के उठता हूँ,
बस तू ही नही, हर शह तो नज़र आती है..!
– गौरव संगतानी
भाव और विचार के श्रेष्ठ समन्वय से अभिव्यक्ति प्रखर हो गई है । विषय का विवेचन अच्छा किया है । भाषिक पक्ष भी बेहतर है । बहुत अच्छा लिखा है आपने ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
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बहुत बढिया!!
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अशोक जी धन्यवाद आपके कॉमेंट और उत्साह वर्धन के लिए…. आपका ब्लॉग भी पड़ा… काफ़ी अच्छा लगा…
परम जीत जी आपका भी धन्यवाद…. इसी तरह आपका स्नेह मिलता रहे…
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बहुत सुंदर….
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बहुत सुन्दर रचना है
—
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
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Good one Gaurav…
Keep writing…
Kabhi yahan bhi aaiyega…
http://tanhaaiyan.blogspot.com
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Nice Boss
Kaun है wo jo रातों को pareshan kar rahi है……….
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