जाने किसके के शेर है….. पर अच्छे लगे सो बाँट रहा हूँ…….
कितना खुश्फहम कोई इंसान हो सकता है…
कभी तन्हाई में, आईना उठा के देखो…..
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दबा के कब्र मे, सब चल दिए ! दुआ, ना सलाम !
ज़रा सी देर मे, क्या हो गया जमाने को !
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दिल कि रग रग निचोड़ लेता है
इश्क़ मैं ये बड़ी मुसीबत है…..
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इक तुम्हारे रूठ जाने से
किसी को कुछ नहीं होता
फूल भी महकते हैं
रंग भी दमकते हैं
सूरज भी निकलता है
तारे भी चमकते हैं
लेकिन इतना ज़रूर होता है
इक तुम्हारे रूठ जाने से
कोई हँसना भूल जाता है …!!
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हम नींद के शोक़ीन ज़्यादा नही लेकिन,
कुछ खवाब ना देखें तो गुज़ारा नही होता…….
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यूँ तो पत्थर क़ी भी तक़दीर बदल सकती है
शर्त यह है क़ी उसे दिल से तराशा जाए
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शेष फिर कभी…..
सुनना चाहें यदि तो…. क्लिक करें:
http://gauravsangtani.podomatic.com/enclosure/2008-08-20T11_53_00-07_00.mp3
“यूँ तो पत्थर क़ी भी तक़दीर बदल सकती है
…..”
ये वाला लाईन कूछ ज्यादा अच्छा लगा एक दम दमदार है।
ये बाट्ने के लीये धन्यवाद
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पढ़वाने का आप को बहुत शुक्रिया.
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आपने सचमुच कमाल की बातें साझा कीं हैं! शुक्रिया!
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यूँ तो पत्थर क़ी भी तक़दीर बदल सकती है
शर्त यह है क़ी उसे दिल से तराशा जाए
” wah great to read, thanks for sharing’
Regards
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Best line is :
इक तुम्हारे रूठ जाने से
कोई हँसना भूल जाता है …!!
Wah Wah !!!!
Bahut matlab hai ismein!!!
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यूँ तो पत्थर क़ी भी तक़दीर बदल सकती है
शर्त यह है क़ी उसे दिल से तराशा जाए
waah bahut hi khubsurat
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दबा के चल दिये सब कब्र में, दुआ न सलाम
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को
–कमर जलालवी
This one is by कमर जलालवी
And the sher is like the one I have posted. There is a little difference in the arrangement of words.
Thanks….This is just for information.
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ये शेर बहुत अच्छा लगा
दिल कि रग रग निचोड़ लेता है
इश्क़ मैं ये बड़ी मुसीबत है…..
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