आओ आज नाम बदल लें…!
ले लो इस नाम से जुड़ी सब दौलत और शौहरत,
मुझे बेनामी का सुकून लौटा दो….
अक्सर तुम्हे देखा है नुक्कड़ पे बच्चो के साथ फुटबाल खेलते,
मैं भी सनडे को साहब के साथ गोल्फ खेलने जाता हूँ…..
बोलो तो खेल बदल लें…
आओ आज नाम बदल लें…!
ले लो इस नाम से जुड़े सब ओहदे और तोहफे,
मुझे बेनामी का प्यार लौटा दो….
कल तुम्हे देखा था दीनू के घर का छप्पड़ डालते,
मैं भी कंप्यूटर पे इमारतों के ख़ाके खींचा करता हूँ….
बोलो तो ये काम बदल लें….
आओ आज नाम बदल लें…!
ले लो इस नाम से जुड़े सब शिकवे और शिकायतें,
मुझे बेनामी का भोलापन लौटा दो…..
रोज शाम तुम्हे देखता हूँ मॅरी के साथ मरीन ड्राइव पे,
मैं भी रीना, टीना, गीता, रानी और आरती के साथ फ्राइडे नाइट पब मे जाता हूँ….
बोलो तो ये प्यार बदल लें….
आओ आज नाम बदल लें…!
ले लो इस नाम से जुड़े सब कसमे और वादे,
मुझे बेनामी का सीधापन लौटा दो…..
अक्सर तुम्हे पाता हूँ पान वाले, नन्हे नंदू और गंगा काकी से बतियाते,
मैं भी घंटो कान्फरेन्स कॉल पे बातें करता हूँ….
बोलो तो ये पहचान बदल लें…
आओ आज नाम बदल लें…!
– गौरव संगतानी
ले लो इस नाम से जुड़े सब ओहदे और तोहफे,
मुझे बेनामी का प्यार लौटा दो….
कल तुम्हे देखा था दीनू के घर का छप्पड़ डालते,
मैं भी कंप्यूटर पे इमारतों के ख़ाके खींचा करता हूँ….kuch alag si bahut achhi rachana
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Bahut khub likhate rahiye…..
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nice man !
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बहुत बढिया रचना!!
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