आज अश्कों का तार टूट गया
रिश्ता-ए-इंतज़ार टूट गया
यूँ वो ठुकरा के चल दिए गोया
इक खिलौना था प्यार टूट गया
रोए रह-रह कर हिचकियाँ लेकर
साज़-ए-गम बार बार टूट गया
‘सैफ’ क्या चार दिन कि रंजिश से
इतनी मुद्दत का प्यार टूट गया
– सैफुद्दीन सैफ
आज अश्कों का तार टूट गया
रिश्ता-ए-इंतज़ार टूट गया
यूँ वो ठुकरा के चल दिए गोया
इक खिलौना था प्यार टूट गया
रोए रह-रह कर हिचकियाँ लेकर
साज़-ए-गम बार बार टूट गया
‘सैफ’ क्या चार दिन कि रंजिश से
इतनी मुद्दत का प्यार टूट गया
– सैफुद्दीन सैफ
सैफुद्दीन सैफ को पढ़ना एक अनुभव रहा. आभार.
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shayad hamne unhe pehli baar padha hai,bahut hi khubsurat nazm
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