बस इक झिझक है यही हाल–ए–दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फसाने में
इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में
– कैफ़ी आज़मी
बस इक झिझक है यही हाल–ए–दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फसाने में
इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में
– कैफ़ी आज़मी
बहुत खूब.
अति उतम.
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kya baat hai
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wah bahut khub
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