तेरे बिन मैं इस जीवन को गुज़ारूं कैसे .
हर घड़ी सोचता हूं तुझको जहन से उतारूँ कैसे..
जब कोई आहट ना हुई, ना ही कोई दस्तक दी तुमने,
कैसे चले आए इस दिल में, दिल को संभालूं कैसे..
तेरे बिन मैं इस जीवन को गुज़ारूं कैसे .
हर घड़ी सोचता हूं तुझको जहन से उतारूँ कैसे..
राह में बहुत दूर तक, तू हर पल साथ चला था मेरे,
आज फिर से ज़रूरत है तेरी, तुझको पुकारूँ कैसे…….
तेरे बिन मैं इस जीवन को गुज़ारूं कैसे .
हर घड़ी सोचता हूं तुझको जहन से उतारूँ कैसे..
ज़िंदगी बहुत कुछ कट गयी है, तेरी उम्मीदों के सहारे,
बहुत बाक़ी है जीवन, उम्मीदों को उभारू कैसे……
तेरे बिन मैं इस जीवन को गुज़ारूं कैसे .
हर घड़ी सोचता हूं तुझको जहन से उतारूँ कैसे..
– गौरव संगतानी
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Nimesh Tripathi
CA-PCC STUDENT
RAEBARELI FROM U.P
9454148220
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